Bhai Dooj 2023 जाने क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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भाईदूज जिसे हम भाऊ बीज या भाई टीका के नाम से भी जाताते है. भाईदूज यह एक रक्षा बंधन की तरह ही एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है. भाईदूज का यह त्यौहार ठीक दीवाली के 5 दिन बाद मनाया जाता है और हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) अनुसार हम इसे हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मानते है. इस वर्ष भाईदूज का त्यौहार हम 15 नवंबर, 2023 को मना सकते है. 

भाईदूज की क्या है कथा? और हम इसे क्यों मनाते है. (why we celebrate bhai dooj in Hindi )

भाई दूज इस पर्व के पीछे की कहानी अलग-अलग क्षेत्रीय मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग है. लेकिन उन सभी कहानीयो में से भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी  कहानी बहोत प्रचलित है.

भगवान श्री कृष्ण जी जब राक्षस नरकासुर का नरसंघार करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए. बहन सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण जी का आरती के साथ उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया. इसी निस्वार्थ भाव से किये गए स्वागत के रूप में ही हम भाईदूज मानते है. 

इसी प्रकार एक और कहानी प्रचलित है. जिसमे मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमी (यमी जिसे हम माता यमुना के नाम से भी जानाते है.) जब यमराज उनकी बहन यमी से मिलने जाते है तब माता यमुना अपने भाई यमराज का स्वागत आरती और माथे पर तिलक लगाकर करती है. इस प्रकार का स्वागत देख भगवान यमराज ने उसे वरदान दिया कि जो कोई भी इस दिन अपनी बहन से तिलक और आरती प्राप्त करेगा उसे लंबी उम्र और खुशी का आशीर्वाद मिलेगा.

भाईदूज मनाने का शुभ मुहूर्त?

हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, भाईदूज (Bhai Dooj) की पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2023 दोपहर 1:10 से शुरू होकर 15 नवंबर दोपहर 03:19 तक रहेगा.

भाईदूज पूजा की विधि 

भाईदूज पूजा की विधि बहोत ही आसान होती है. इस पूजा विधि में हमे एकथाली , फूल, टिका लगाने के लिए कुमकुम या रोली और थोड़ा पानी की आवश्कता होती है. 

तैयारी और सजावट: पूजा की शुरुआत सजावटके साथ होती है, जिसमे हम अपने घर और पूजा की थाली को सजाते है. 

भाई की आरती: पूजा की शुरुआत भाई की आरती से होती है, इसमें हमे दीपक, कुमकुम, चावल और फूलो को आवश्यकता होती हैं.

तिलक और कुमकुम: भाई के माथे पर तिलक और कुमकुम लगाकर पूजा को आगे बढ़ाये. माथे पर तिलक लगाने का अर्थिक महत्व होता है, जो सुरक्षा और भलाइयों की स्थिति को दर्शाता है.

भाई का आशीर्वाद: इसके बाद बहन अपने भाई से आशीर्वाद प्राप्त करती है और भाई उसे उपहार देता है.


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