दिवाली जिसे हम दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. यह त्यौहार भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर के अनुसार एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार सत्य, धर्म, और आत्मशुद्धि का प्रतीक है और इसे पूरे देश में इसे बहोत धूमधाम से मनाया जाता है. दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. जिससे घर में समृद्धि और धन की वर्षा होती है. पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की विशेष देखभाल की जानी चाहिए ताकि इसकी प्राकृतिक सौंदर्यता बनी रहे और घर में पॉजिटिव ऊर्जा बरकरार रहे.
हम सभी लोग दिवाली के समय अपने घर में हर वर्ष नई लक्ष्मी-गणेश जी की नई मूर्ति खरीद कर लाते हैं और बड़ी दूमधाम सै उनकी पूजा करते है. लेकिन उसके बाद हम सबको यही प्रशन आता है की अब लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति का क्या करे. आम तौर पर लोग इन मूर्तियों को कहीं ना कहीं उठकर रख देते हैं या फिर कोई लोग इन मूर्तियों को मंदिर मैं रख देते है. जो की बिलकुल गलत है. हम आपको बताएंगे की आपको दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार के बाद इन मूर्तियों को कैसे विसर्जित करे जो की आपके लिए अच्छा होता है.
दिवाली की शुरुवात छोटी दिवाली सै होती है और यह पाच दिन तक चलती है. बड़ी दिवाली जिसे हम लक्ष्मी पूजन भी कहते है. इस दिन हम सभी लोग मां लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करते है. पूजा होने कै बाद हम दीप और फटाके जलाकर दिवाली की शुरुवात करते है और ऐसा ही हम भाई बीज यानी दिवाली के पांचवे दिन तक करते है. इस दिन को पंचमी भी कहा जाता है. पंचमी का दिन भी बेहत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन जो व्यापारी, दुकानदार और बेहोत सै लोग अपनी दुकान और व्यापार की पूजा करते है.
अब प्रशन आता है की हम कब और कैसा गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति का विसर्जन करे. (diwali ke baad Lakshmi-Ganesh ke moorti ka kya karen?)
जब भी आप गणेश-लक्ष्मी जी की नई मूर्ति अपने घर में लाते है सबसे पहले नई मूर्ति की पुरे विधि विधान से पूजा अर्चना कीजिये और जो पुरानी मूर्ति होती है उस मूर्ति को भी वही रहने दीजिये. आप की पुरानी मूर्ति को दीपावली के पाचवे दिन यानि, भाउ बीज या पंचमी को विसर्जन करना होता है. ये हमेशा याद रखे की नई मूर्ति की पूजा आपको पुरे वर्ष तक करने होती है और नई मूर्ति का विसर्जन नहीं करना होता है.
मूर्ति को सबसे पहले अपने चौकी से हटाए और पुरानी मूर्ति को अच्छे से साफ कर लीजिये ताकि मूर्ति पर कोई फल, फूल या यदि कोई चीज ना हो. फिर पुरानी मूर्ति की श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करें और लाल कपड़े में बांध कर विसर्जन करें.
विसर्जन के लिए आप कोई नदी या तालाब का उपयोग कर सकते है या फिर आप अपने घर के कुए या भी उपयोग कर सकते है. सबसे अच्छा और आसान तरीका है आप एक अच्छा सा बर्तन ले और उसमे ही मूर्ति का विसर्जन करे. जब तक मूर्ति पूरी तरह से विसर्जित न हो जाये तब तक मूर्ति को असा ही रहने दे और विसर्जित हो जाने के बाद मिटी को अपने तुलसी के गमले में मिला दे.
यह याद रखे की आप मूर्ति को किसी भी मंदिर या पेड़ के निचे न रखे यह बिलकुल निति संगत नहीं माना जाता है. हमेशा मूर्ति खरीदने से पहले ये देख ले की मूर्ति मट्टी की ही बानी हुई होनी चाहिए.
दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा से न केवल धन की प्राप्ति होती है. बल्कि इससे परिवार के बीच प्यार और समर्थन का भाव बना रहता है. इससे घर में एक शांतिपूर्ण और मित्रभावना से भरा माहौल बना रहता है जो लोगों को एक दूसरे के प्रति समर्थन और समर्पण की भावना से भर देता है.
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इस प्रकार दिवाली के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की देखभाल और पूजा से हम अपने जीवन को सकारात्मकता और समृद्धि की दिशा में मोड़ सकते हैं. इसे सावधानीपूर्वक करने से हम अपने घर को एक पवित्र और धार्मिक स्थान बना सकते हैं. जिससे हमारा जीवन सुखद और शांतिपूर्ण रहे.