द्रौपदी मुर्मु जी की बायोग्राफी हिंदी में

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द्रौपदी मुर्मू जी का परिचय (Droupadi Murmu ji Biography In Hindi)

द्रौपदी मुर्मू जी का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था और वे एक संथाल परिवार से हैं. द्रौपदी मुर्मू जी ने अपनी शिक्षा को ओड़िशा के भुवनेश्वर में स्थित रमा देवी महिला विश्वविद्यालय से पूरा किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन किए और अपने दृढ़ संकल्प से राजनीतिक चरण में कदम रखा.

द्रौपदी मुर्मू जी ने अपनी जीवन की सफलता का सफर विभिन्न चुनौतियों और समृद्धि के साथ तय किया है, जो उन्होंने अपने सामाजिक सेवा, राजनीतिक यात्रा, और नेतृत्व में योगदान के माध्यम से किया है. वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भी रही हैं और उन्होंने अपने सशक्त और सर्वांगीण नेतृत्व के लिए बहुत से पुरस्कार प्राप्त किए हैं. उन्हें 2022 में भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, जो एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि वह पहली आदिवासी महिला हैं जो इस पद पर सेवा  के लिए चुनी गई हो.

Draupadi Murmu Biography

नामद्रौपदी मुर्मू
जन्म20 जून, 1958
जन्म स्थानउपरबेड़ा, मयूरभंज, ओड़िशा, भारत
आयु65 वर्ष
माता-पिताबिरंचि नारायण टुडु
राजनीतिक दलभारतीय जनता पार्टी
पदभारत की राष्ट्रपति
शिक्षारमा देवी महिला विश्वविद्यालय
पूर्व पदझारखंड की राज्यपाल, मत्स्य और पशु संसाधन के लिए राज्यमंत्री, वाणिज्य के लिए राज्यमंत्री, ओड़िशा विधानसभा के सदस्य
बच्चेइतिश्री मुर्मू
पतिश्याम चरण मुर्मू (2014 में निधन हो गए)

 

द्रौपदी मुर्मू जी का जन्म और परिवार

द्रौपदी मुर्मू जी का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गाँव में हुआ था. वे एक संथाल परिवार से संबंधित हैं और उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था. उनके दादा और पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे हैं.

द्रौपदी का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था, जो भी एक संथाल परिवार से थे. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. दुर्भाग्यवश, उनके दोनों बेटों और उनकी पत्नियां तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी पुत्री विवाहित है और भुवनेश्वर में रहती है. इसके बावजूद, द्रौपदी मुर्मू जी ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है और समृद्धि की ऊंचाइयों तक पहुंची हैं.

शिक्षा और करियर

उनकी शिक्षा

द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने शिक्षार्थी जीवन की शुरुआत अपने स्थानीय स्कूल से की, जहां उन्होंने अपनी मूल शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने अपनी पढ़ाई में उत्साह और समर्पण दिखाया और अपने अच्छे अध्ययन के कारण अपने समुदाय में प्रतिष्ठान बनाया. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प किया और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिनाईयों का सामना किया.

करियर की शुरुआत

द्रौपदी मुर्मू जी के करियर की सुरुवात शिक्षा के क्षेत्र से शुरू हुई थी. जहां उन्होंने एक अध्यापिका के रूप में अपना पहला कदम रखा. उन्होंने अपने ज्ञान और कौशल का सार्वजनिक स्तर पर साझा करने का संकल्प किया और विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के माध्यम से समाज में योगदान करने का मकसद रखा.

धीरे-धीरे, उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में भी अपने पैर जमाए और अपनी भूमिका में समर्थन, नेतृत्व, और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखाया. उनकी करियर की शुरुआत अध्यापन से हुई, लेकिन बढ़ते समय के साथ, उन्होंने राजनीतिक मैदान में अपने पैर जमाए और अपने समाज के लाभ के लिए समर्पित होने का संकल्प लिया.

चुनौतियाँ और सफलता

व्यक्तिगत और पेशेवर चुनौतियाँ

द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने हमेशा उन्हें पूरा करने का सामर्थ्य दिखाया है. उनका जीवन एक साधारिता से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर है, और इस सफर में उन्होंने अनेक मुश्किलें पार की हैं.

व्यक्तिगत चुनौतियों में, जैसे कि समाज में जनजातियों के साथ समझौते का सामना करना और सामाजिक रूप से आगे बढ़ना, उन्होंने अपनी मजबूत इच्छा और सहजता से इन चुनौतियों का सामना किया है. उन्होंने यह सिखा कि सफलता का मार्ग कभी-कभी चुनौतियों से होकर जाता है और उन्हें पार करना हमें और भी मजबूत बनाता है.

पेशेवर चुनौतियों में, उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में भी अनेक कठिनाईयों का सामना किया है. राजनीति में अच्छे परिणामों के लिए समर्पित रहना और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रहना उनकी चुनौतियों में से कुछ हैं.

सफलता की कहानी

द्रौपदी मुर्मू जी की सफलता की कहानी एक उदाहरण है जो संघर्ष और संघर्ष के बावजूद उनके उत्कृष्ट उपलब्धियों को दर्शाती है. उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण, और सहजता के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कभी हार नहीं मानी.

सफलता में पहुंचने के लिए, उन्होंने समय-समय पर अपने लक्ष्यों को स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किया और अपनी क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग किया. उनकी सफलता ने दिखाया कि आप जो भी पाना चाहते हैं, उसके लिए आपको कभी-कभी संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन यदि आप मेहनती और समर्पित हैं, तो आप अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.

समाजसेवा और सांस्कृतिक यात्रा

समाजसेवा में योगदान

द्रौपदी मुर्मू जी ने समाजसेवा में अपना समर्पण दिखाते हुए समाज के उत्थान के लिए कई पहलूओं में योगदान किया है. उन्होंने विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन को सुधारने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. उनका समाजसेवा में योगदान उनके सबसे मूल्यवान और गर्वनीय कार्यों में से एक है.

द्रौपदी मुर्मू जी ने जनजातियों, विशेषकर गरीया समुदाय के लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए काम किया है. उन्होंने उन लोगों को जागरूक किया है और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताया है ताकि समाज में ज्ञान और जागरूकता बढ़ सके.

सांस्कृतिक क्षेत्र में यात्रा

द्रौपदी मुर्मू जी की सांस्कृतिक यात्रा ने उन्हें अपने समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने का मौका दिया है. वे निरंतरता से भारतीय सांस्कृतिक और तांत्रिक विरासत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध रहती हैं.

उनकी सांस्कृतिक यात्रा में, वह विभिन्न कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समर्थन करती हैं जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं और उन्हें अपने रूढ़िवादी संस्कृति को समझने का अवसर प्रदान करते हैं. उनका यह समर्थन भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो समृद्धि और सामाजिक एकता की दिशा में मदद कर सकता है.

सम्मान और पहचान

प्राप्त सम्मान और पुरस्कार

द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने उदार दृष्टिकोण, कठिनाईयों के सामना करने में और समाजसेवा में किए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए हैं. उन्हें सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया है.

उन्हें उनके सशक्त नेतृत्व और अद्वितीय सेवा के लिए 2017  में प्रबुद्ध महिला सम्राट के रूप में पुरस्कृत किया गया. इसके अलावा, उन्हें भी अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा कई बार सम्मानित किया गया है.

उनकी पहचान

द्रौपदी मुर्मू जी की पहचान उनके समर्पण, नेतृत्व, और समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए योगदान के माध्यम से बनी है. वह भारतीय राजनीति में अपने उदार दृष्टिकोण और समृद्धि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचानी जाती हैं. उनका संघर्ष, समर्पण, और सामाजिक समानता के प्रति आदर्श ने उन्हें एक प्रमुख नेता बना दिया है और उन्हें देशभर में पहचान दिलाई है.

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संपूर्ण सारांश द्रौपदी मुर्मु

द्रौपदी मुर्मु जी जो भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं, एक अद्भुत और प्रेरणादायक जीवन जी रही हैं. उनका जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था और वे एक संथाल परिवार से थीं. उनके पिताजी और दादा दोनों ही गाँव के प्रमुख रहे हैं.

द्रौपदी ने अपने जीवन की शिक्षा ओड़िशा के एक स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की और फिर उन्होंने रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की. शिक्षा के बाद, उन्होंने एक अध्यापिका की नौकरी स्वीकार की, जो उनके व्यावसायिक जीवन का आरंभ था.

राजनीतिक माध्यम से द्रौपदी ने अपने जीवन को नए मोड़ पर ले लिया. साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में उन्होंने अपने पहले राजनीतिक कदम रखा और वहां जीत हासिल की. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी सेवा की और भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का हिस्सा बनीं.

उन्होंने ओडिशा के मयूरभंज जिले से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर विधायक के रूप में दो बार चुनाव लड़े और जीत हासिल की. ओडिशा सरकार में उन्होंने वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य, और पशु संसाधन विभाग में मंत्री के रूप में सेवा की.

2015 में, उन्होंने झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला, जहां उन्होंने न्याय के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गर्व है और वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी महिला हैं.

द्रौपदी मुर्मु का संघर्ष और समर्पण उन्हें एक अद्वितीय स्थान पर ले आए हैं. उन्होंने अपने जीवन में चुनौतियों का सामना किया और सफलता की ऊंचाइयों को छूने में कभी पीछे नहीं हटीं.

द्रौपदी मुर्मु ने 2022 में राष्ट्रपति पद की शपथ ली और उनका कार्यकाल देश के लिए नए सपनों और उच्चतम स्तरों की दिशा में बदल गया. उनके सामर्थ्य और उदारता ने उन्हें देशवासियों की आपातकालीन स्थितियों में भी एक अच्छे नेता के रूप में प्रमुख बना दिया है. उनका योगदान देश को सशक्त बनाने में नहीं बल्कि एक समृद्ध और समृद्धिशील भविष्य की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है.

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